पश्चिम बंगाल के उत्तर चौबीस परगना जिले के संदेशखाली क्षेत्र की हिंदू माताओं-बहनों के साथ वर्षों से हो रही शारीरिक एवं मानसिक शोषण महज एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक जिहादी मानसिकता का परिलक्षण है, उसकी पुनरावृति है। घटना की नियति उसके घटित होने तक ही सीमित होती है, परंतु मानसिकता का स्वरूप घटनाओं के पुनरावृति तक विस्तारित होती है।
वर्षों से संदेशखाली की निर्दोष महिलाएं, जिनमें से अधिकांशतः अत्यंत पिछड़े एवं अनुसूचित वर्ग की हैं, जिहादियों के हाथों लैंगिक शोषण, दुराचार, बलात्कार एवं लूट का शिकार हो रही थीं। अपने एवं अपने परिवारों पर हो रहे इस शोषण तथा उत्पीड़न से तंग आकर संदेशखाली के कई परिवारों का पलायन हो रहा था। यदि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का दौरा संदेशखाली में नहीं हुआ होता तो यह वीभत्स घटना वृहद जनमानस के समक्ष प्रकाश में भी नहीं आई होती। इस पूरे घटनाक्रम में शर्मता की अति यह रही है कि दोषियों को तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त होता रहा है।
यह सोचने वाली बात है कि महिलाओं को देवी एवं शक्ति के रूप में अंगीकार करने वाली बंगाल की इस पवित्र भूमि में महिलाओं के शोषण, दुराचार तथा उनकी अस्मिता को हनन करने का बीज कैसे अंकुरित हुआ। ऐतिहासिक तथ्य यह इंगित करते हैं कि संदेशखाली की घटना का बीज पूर्व में घटित समान प्रकार की घटनाओं से पल्लवित है, चाहे वो 1921 का मोपला नरसंहार हो या 1946 का नोवाखली का हिंदू नरसंहार।
खिलाफत आंदोलन की आड़ में केरल के साउथ मालाबार में अगस्त 1921 में मोपला मुसलमानों ने उन्हीं हिंदू जमींदारों का कत्लेआम एवं हिंदू महिलाओं से दुराचार शुरू किया जिनके हिंदू पूर्वजों ने मोपलाओं को अपनी जमीन एवं संपत्ति देकर उनको अपनी भूमि पर अंगीकृत किया था। मोपलाओं ने अपने आका अठारहवीं शताब्दी के हैदर अली से प्रेरणा लेकर कत्लेआम एवं दुराचार का तांडव इस कदर मचाना शुरू किया कि मालाबार के हिंदू अपना संपत्ति छोड़कर अन्य स्थानों पर पलायन को मजबूर हो जाएं। हिंदू-मुस्लिम एकता के रूप में प्रक्षेपित खिलाफत आंदोलन अंततः हिंदुओं के नरसंहार के रूप में पटाक्षेप हुआ।
हिंदू नरसंहार एवं दुराचार के इस भाव की पुनरावृति अक्टूबर-नवंबर, 1946 में तत्कालीन संयुक्त बंगाल के चिटगांव डिवीजन के नोआखली क्षेत्र में देखने को मिली। महीनों तक नोआखली में मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं का कत्लेआम किया गया, हिंदू महिलाओं का रेप किया गया, उनकी संपत्तियां जबरन छीन ली गई, गांव के गांव मुस्लिम धर्म में परिवर्तित होने के लिए मजबूर कर दिया गया और लाखों हिंदू अपने परिवार के साथ नोआखली से विस्थापित कर दिए गए तथा रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर किए गए। हिंदुओं के विरुद्ध मुसलमानों का ये सुनियोजित आक्रमण संयुक्त भारत के अन्य स्थानों पर भी हिंदुओं के नरसंहार एवं पलायन को बढ़ावा दिया जिसका परिलक्षण भारत विभाजन के रूप में हुआ।
इन सभी घटनाओं में एकरूपता का यह भाव रहा है कि सर्वप्रथम भारत के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिमों की आबादी को गैरकानूनी तरीके से बढ़ाया जाए और फिर वहां के बहुसंख्यक हिंदुओं को कत्लेआम करके, उनकी संपत्ति को लूट करके तथा हिंदू महिलाओं की अस्मिता का हनन करके विभित्सका का ऐसा प्रारूप तैयार किया जाए जिससे हिंदू परिवारों का पलायन हो और अंततः भारत को विभिन्न हिस्सों में विभाजित करने में सफल हो सके।
संदेशखाली की घटना भी जिहादियों के इसी दुष्चरित्र का आविर्भाव है। बांग्लादेश के साथ संदेशखाली का पोरस बॉर्डर होने का लाभ इन जिहादियों ने बखूबी उठाया। विगत वर्षों में संदेशखाली में मुस्लिम घुसपैठियों का प्रवाह ने इसे बंगाल के तीसरे सबसे ज्यादा उच्च जनसंख्या घनत्व वाले प्रखंड में शामिल करा दिया है। आज यह क्षेत्र आतंकवादियों, तस्करों, एवं अपराधियों का अड्डा बन गया हुआ है। 1981 से 2011 जनगणना के बीच हिंदुओं की आबादी जहां चार प्रतिशत घटी है वहीं मुसलमानों की आबादी, बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से, चार प्रतिशत तक बढ़ गई है। इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का विस्फोट देश के औसत वृद्धि से लगभग पचास गुना ज्यादा है। इस सीमावर्ती क्षेत्र में विदेशी ताकतें भी अपने गलत मंसूबा को अमलीजामा पहनाने के लिए हिंदुओं की संपत्ति को खरीदने में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। संदेशखाली में कानूनी एवं गैरकानूनी तरीके से हिंदुओं की संपत्ति को हड़पकर, हिंदुओं को प्रताड़ित कर, हिंदू महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, दुराचार एवं बलात्कार कर हिंदू नरसंहार का पटकथा लिखने का कार्य किया जा रहा है जिसका पटाक्षेप भारत को फिर से विभाजित करके किए जाने की सुनियोजित साजिश चल रही है। भारत के जनमानस से यह अपेक्षा है कि जिहादियों की विस्तारवादी मंसूबे को भलीभांति समझे और संदेशखाली को आज का नोआखली बनने से रोके। साथ ही, भारत के विभिन्न हिस्सों में संदेशखाली बनाने का जो कुचक्र चल रहा है उसपर सजग रहकर भारत के असंख्य विभाजन की साजिश को प्रतिकार करे।
(इस लेख के लेखक हैं याज्ञवल्क्य शुक्ल, ABVP राष्ट्रीय महामंत्री)